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SIP vs FD – Quick Comparison
SIP (Systematic Investment Plan)
कम राशि में शुरुआत, मार्केट आधारित रिटर्न, लंबी अवधि में अधिक मुनाफा और कंपाउंडिंग का शक्तिशाली लाभ।
FD (Fixed Deposit)
सुरक्षित जमा योजना, तय ब्याज दर, जोखिम कम, लेकिन रिटर्न सीमित और महंगाई को मात नहीं दे पाती।
SIP और FD के बीच तुलना सालों से निवेशकों के मन में एक बड़ा सवाल बना हुआ है क्योंकि दोनों ही वित्तीय विकल्प अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग तरह का फायदा देते हैं। भारत में परंपरागत रूप से लोग फिक्स्ड डिपॉजिट को सुरक्षित निवेश मानते आए हैं क्योंकि बैंक FD में पैसा लगाने पर रिटर्न तय होता है और मूलधन भी लगभग सुरक्षित रहता है। वहीं दूसरी तरफ आधुनिक समय में लोग SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें कम राशि से शुरुआत की जा सकती है, लंबी अवधि में रिटर्न FD की तुलना में अधिक मिलने की संभावना रहती है और मार्केट के उतार-चढ़ाव को औसत करने का फायदा भी मिलता है। निवेश शुरू करने से पहले इन दोनों विकल्पों को समझना जरूरी है क्योंकि हर व्यक्ति का आर्थिक लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि अलग होती है, इसलिए SIP और FD में से किसी एक को चुनना पूरी तरह आपके लक्ष्य और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।

भारतीय परिवारों में FD एक भरोसेमंद निवेश मानी जाती है क्योंकि इसमें जोखिम बेहद कम होता है और ब्याज दर पहले से तय रहती है। जब भी आप बैंक में FD करते हैं तो बैंक आपको वार्षिक ब्याज दर का वादा करता है, जिसे पूरा अवधि में बदला नहीं जाता। इससे निवेशक को पहले से पता होता है कि कुल कितने पैसे बनने वाले हैं। उदाहरण के लिए यदि आपने 5 साल की FD 7% ब्याज दर पर करवाई है तो चाहे बाजार कितना भी ऊपर या नीचे जाए, आपका ब्याज 7% ही रहेगा। यह सुरक्षित और सरल निवेश विकल्प उन्हें पसंद आता है जो जोखिम नहीं लेना चाहते और स्थिर रिटर्न चाहते हैं। FD में TDS कटता है, लेकिन 80C के तहत टैक्स बचत FD भी उपलब्ध होती है जिसकी लॉक-इन अवधि 5 साल होती है। FD की खास बात यह है कि इसे छोटे-बड़े सभी बैंक, पोस्ट ऑफिस और NBFC भी ऑफर करते हैं, इसलिए विकल्प भी बहुत मिलते हैं।

दूसरी तरफ SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप हर महीने एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। SIP का असली फायदा यह है कि इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव औसत हो जाते हैं क्योंकि आप हर महीने अलग-अलग NAV पर यूनिट खरीदते हैं। SIP एक ऐसी आदत बनाता है जिसमें हर महीने निवेश करने का अनुशासन बना रहता है। SIP में आप 100 रुपये से भी शुरुआत कर सकते हैं, इसलिए नए निवेशकों के लिए यह आसान विकल्प है। SIP से मिलने वाला रिटर्न पहले से तय नहीं होता क्योंकि यह मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है लेकिन अगर लंबी अवधि यानी 5 साल, 10 साल, 20 साल तक SIP करते रहें तो औसत रूप से 10% से 15% तक का रिटर्न मिल जाता है, जो FD की तुलना में अधिक होता है। SIP खासकर उन लोगों के लिए सही है जो अपने पैसे को लंबे समय के लिए बढ़ाना चाहते हैं, जैसे बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट, घर खरीदना, बिज़नेस शुरू करना या भविष्य की बड़ी जरूरतों को पूरा करना।

FD और SIP की सबसे बड़ी तुलना जोखिम और रिटर्न के आधार पर होती है। FD में जोखिम कम होता है क्योंकि यह बैंक की सुरक्षित स्कीम है और भारत में बैंकों की सुरक्षा को DICGC द्वारा 5 लाख रुपये तक कवर किया जाता है। इसका मतलब है कि यदि बैंक डूब भी जाए तो 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है। लेकिन SIP का रिटर्न मार्केट पर आधारित है, इसलिए इसमें थोड़ा जोखिम रहता है, खासकर शॉर्ट टर्म में। लोग इसे जोखिमपूर्ण समझते हैं, लेकिन यदि सही फंड, सही अवधि और सही asset allocation के साथ SIP की जाए तो लंबी अवधि में जोखिम काफी कम हो जाता है। मार्केट कभी लंबे समय तक नीचे नहीं रहता और हमेशा समय के साथ ऊपर की ओर बढ़ता है। इतिहास बताता है कि भारत की इकनॉमी लगातार बढ़ रही है और इसी वजह से SIP के जरिए निवेश करने वाले लंबे समय में अच्छा रिटर्न कमाते हैं।

आज के समय में महंगाई तेजी से बढ़ रही है और FD का ब्याज कई बार महंगाई से कम होता है। जैसे यदि महंगाई 6% है और FD 6.5% देती है, तो आपका रिटर्न लगभग बराबर हो जाता है। लेकिन म्यूचुअल फंडों का रिटर्न महंगाई को मात देने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि युवा पीढ़ी SIP की तरफ ज्यादा आकर्षित है क्योंकि इससे पैसा तेजी से बढ़ता है। SIP में कंपाउंडिंग का जादू सबसे खास है। जब आपका पैसा बढ़ता है तो उस बढ़े हुए पैसे पर भी ब्याज मिलता है और समय के साथ बड़ी रकम बन जाती है। FD में कंपाउंडिंग होती है लेकिन रिटर्न कम होने से ग्रोथ लिमिटेड रहती है।

कर (टैक्स) के मामले में FD और SIP दोनों में अंतर है। FD का ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है और उस पर व्यक्ति की आय के अनुसार टैक्स लगता है। अगर आप उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं तो FD का रिटर्न काफी कम हो सकता है। SIP के अंतर्गत equity mutual fund में 1 साल से कम निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15% लगता है। 1 साल से ज्यादा निवेश पर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा टैक्स-फ्री होता है और इसके ऊपर 10% LTCG टैक्स लगता है। लंबे समय में SIP पर टैक्स का प्रभाव FD की तुलना में काफी कम रहता है, जिससे नेट रिटर्न अधिक आता है। टैक्स के मामले में भी SIP बेहतर मानी जाती है।

FD का सबसे बड़ा फायदा उसकी liquidity है। जरूरत पड़ने पर निवेशक कभी भी FD तोड़ सकता है, हालांकि ऐसा करने पर पेनल्टी लगती है और थोड़ा ब्याज कम मिल जाता है। SIP की liquidity फंड के प्रकार पर निर्भर करती है। Equity SIP में पैसा equity mutual fund में जाता है, जिसे कभी भी बेचा जा सकता है। लेकिन कुछ फंड में exit load होता है जो 1% तक हो सकता है, अगर आपने फंड को 1 साल से पहले बेच दिया तो। वहीं ELSS म्यूचुअल फंड में 3 साल का लॉक-इन होता है। इसलिए liquidity के मामले में SIP थोड़ी कम लचीली है, लेकिन फिर भी इसे जरूरत के अनुसार adjust किया जा सकता है।

SIP और FD में से कौन बेहतर है, यह पूरी तरह आपके उद्देश्य पर निर्भर करता है। यदि आप सुरक्षित, गारंटीड और स्थिर रिटर्न चाहते हैं और जोखिम से दूर रहना चाहते हैं, तो FD आपके लिए बिल्कुल सही है। यह वरिष्ठ नागरिकों, छोटे निवेशकों, सेफ प्लान चाहने वालों के लिए बेस्ट विकल्प है। वहीं यदि आप भविष्य के लिए बड़ा corpus बनाना चाहते हैं, अधिक रिटर्न चाहते हैं, और लंबी अवधि तक निवेश कर सकते हैं, तो SIP सबसे अच्छा विकल्प है। युवा निवेशकों, मध्यम-वर्गीय परिवारों, भविष्य की बड़ी जरूरतों की प्लानिंग करने वालों के लिए SIP बेहतरीन परिणाम देती है। SIP आपको inflation beating returns देती है यानी आपका पैसा महंगाई से आगे बढ़ता है, जबकि FD ऐसा कई बार नहीं कर पाती।

अगर हम ऐतिहासिक तुलना करें तो FD का रिटर्न लगभग 5% से 8% के बीच रहा है जबकि कई SIP फंडों ने लंबे समय तक 12% से 18% तक वार्षिक रिटर्न दिया है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति 10 साल तक हर महीने 5000 रुपये की FD करता है तो उसका रिटर्न सीमित होगा, लेकिन SIP में वही पैसा कई गुना बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए 5000 रुपये की SIP यदि 12% वार्षिक रिटर्न दे, तो 10 साल में लगभग 11 लाख रुपये बन जाते हैं, जबकि FD में इसी राशि का कुल जमा इससे कम होगा। लंबी अवधि में कंपाउंडिंग SIP को FD से कहीं बेहतर बना देती है।

कई निवेशकों को लगता है कि SIP में बड़ा जोखिम है, लेकिन वास्तविकता यह है कि SIP में जोखिम तभी ज्यादा होता है जब अवधि कम हो। यदि आपने 3 साल, 5 साल या 10 साल की SIP की है तो उतार-चढ़ाव औसत हो जाते हैं और फंड लंबी अवधि में शानदार रिटर्न देने लगता है। SIP में diversification मिलता है क्योंकि आपका पैसा कई कंपनियों और सेक्टर्स में निवेश होता है। FD में ऐसा diversification नहीं होता, वह सिर्फ एक बैंक पर निर्भर होती है। SIP में फंड मैनेजर के अनुभव का भी फायदा मिलता है जो मार्केट के उतार-चढ़ाव का विश्लेषण कर आपके पैसे को सही जगह निवेश करते हैं।

निवेश का उद्देश्य भी SIP और FD के चुनाव में बड़ा रोल निभाता है। यदि आप किसी छोटे लक्ष्य के लिए 1 से 2 साल के अंदर पैसे की जरूरत महसूस करते हैं, जैसे किसी टूर पर जाना, छोटा गैजेट खरीदना, या आपातकालीन फंड बनाना, तब FD सही है क्योंकि यह स्थिर रिटर्न देता है और पैसा सुरक्षित रहता है। लेकिन यदि उद्देश्य बड़ा हो जैसे बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर खरीदना, रिटायरमेंट प्लानिंग या लंबी अवधि का वेल्थ क्रिएशन, तब SIP सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें पैसा कई गुना बढ़ सकता है।

समय के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है, और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री भी मजबूत होती जा रही है। ऐसे में SIP के जरिए निवेश करना देश की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनना है। दूसरी तरफ FD भी जरूरी है क्योंकि हर व्यक्ति को अपने पोर्टफोलियो में सुरक्षित निवेश की जरूरत होती है ताकि अचानक की स्थिति में पैसे की कमी न हो। इसलिए कई विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आपका पोर्टफोलियो 70% SIP और 30% FD जैसा संतुलित होना चाहिए, लेकिन यह आपकी उम्र, जरूरत और जोखिम प्रोफाइल पर निर्भर करता है।

SIP में सबसे बड़ी बात अनुशासन और निरंतरता है। यदि आप हर महीने निवेश करते रहें और बीच में अपनी SIP बंद न करें, तो समय के साथ आपका पैसा इतना बड़ा हो जाता है कि आप खुद amazed रह जाएंगे। FD में उतना अनुशासन जरूरी नहीं होता क्योंकि यह एक बार का निवेश होता है। लेकिन SIP नियमित savings को बढ़ावा देती है और आपकी आदत बन जाती है। SIP के साथ आप financial freedom के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।

अंत में, SIP और FD दोनों ही अपने-अपने स्थान पर उत्कृष्ट निवेश विकल्प हैं और दोनों ही व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार काम करते हैं। यदि आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं तो FD चुनें, और यदि आप तेज़ ग्रोथ, ज्यादा रिटर्न और भविष्य के लिए मजबूत फंड बनाना चाहते हैं तो SIP को चुनना चाहिए। आज के समय में समझदार निवेशक दोनों का संतुलित उपयोग करते हैं ताकि सुरक्षा भी मिले और ग्रोथ भी। महंगाई को मात देने के लिए SIP महत्वपूर्ण है और पूंजी की सुरक्षा के लिए FD जरूरी है। इस तरह दोनों को मिलाकर निवेश करने से आपका वित्तीय भविष्य सुरक्षित, मजबूत और स्थिर बन सकता है।
SIP vs FD – Returns & Benefits Comparison
Investment Average Return Risk Level Liquidity
SIP (Mutual Fund) 10% – 15% long term Medium to High Good (depends on fund type)
FD (Bank Fixed Deposit) 5% – 7.5% Low Immediate with penalty
SIP Ke Fayde
  • Long term high return
  • Compounding advantage
  • Small monthly investment
  • Inflation beating
SIP Ke Nukasan
  • Short term volatility
  • No guaranteed returns
  • Market risk
FD Ke Fayde
  • Principal safe
  • Fixed guaranteed interest
  • Simple & low risk
FD Ke Nukasan
  • Low return
  • Mahngai se kam grow
  • Penalty on early withdrawal

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